Menu
blogid : 319 postid : 398

लीला-ए पैचवर्क लाइफ

Leela Film Actressअनुराधा और त्रिकाल जैसी हिंदी फिल्मों की अभिनेत्री लीला नायडू के बारे में हम बहुत कम जानते हैं। उनकी मृत्यु के बाद भी इस कम जानकारी की वजह से उनके बारे में ज्यादा नहीं लिखा गया। उन्होंने बाद में कवि मित्र डॉम मोरिस से शादी कर ली थी। डॉम के देहांत के बाद उनका जीवन एकाकी रहा। सार्वजनिक जीवन में उन्होंने अधिक रुचि नहीं ली और लोगों से मिलने में भी वे परहेज करती थीं। अंतर्मुखी स्वभाव की लीला के जीवन की झलक उनके ही शब्दों में जेरी पिंटो ने प्रस्तुत की है। जेरी अंग्रेजी के लोकप्रिय गद्य लेखक और कवि हैं। फिल्मी हस्तियां उन्हें आकृष्ट करती रही हैं। इसके पहले उन्होंने मशहूर फिल्मी डांसर और अभिनेत्री हेलन की जीवनी लिखी थी। जेरी ने लीला-अ पैचवर्क लाइफ को आत्मकथात्मक शैली में लिखा है। दरअसल, उन्होंने लीला की कही बातों को करीने से सजाकर पेश किया है। इस पुस्तक के अध्ययन से हम आजादी के बाद की एक स्वतंत्र स्वभाव की अभिनेत्री के बारे में करीब से जान पाते हैं।


भारतीय पिता डा.रमैया नायडू और फ्रेंच मां मार्थ की बेटी लीला नायडू बचपन से ही परफॉर्मिग आ‌र्ट्स की तरफ आकर्षित थीं। उन्होंने नृत्य और नाटकों में हिस्सा लेकर खुद को मांजा और दुनिया के मशहूर फिल्मकारों के संपर्क में आई। आर्ट सिनेमा के इंटरनेशनल पायनियर हस्ताक्षरों की संगत में उन्होंने फिल्म की बारीकियां सीखीं और बहुत तेजी से हर तरह के अनुभव हासिल किए। देश-विदेश में पलीं लीला नायडू को भारत की ऐसी पहली अभिनेत्री कहा जा सकता है, जो इंटरनेशनल सिनेमा और फिल्ममेकर से परिचित थीं। हालांकि उन्होंने अधिक फिल्में नहीं कीं, लेकिन अपनी मौजूदगी से उन्होंने सभी को चौंकाया।


जिस जमाने में राज कपूर की तूती बोलती थी, उन दिनों लीला नायडू ने राज कपूर से मिले चार फिल्मों के प्रस्ताव ठुकरा दिए थे। फिल्मों में रुझान होने के बावजूद वे इसके ग्लैमर से दूर रहीं। पुस्तक में छपी एक तस्वीर में दिलीप कुमार और राज कपूर दोनों ही उनके प्रति मुग्ध नजर आते हैं। लीला नायडू की पहली शादी ओबेराय घराने के तिलक राज ओबेराय से हुई थी। दो बेटियों की मां बनने के बाद वे तिलक से अलग हो गई। संभ्रांत और आभिजात्य रुचि की लीला को दिखावा बिल्कुल पसंद नहीं था। वे चाहतीं, तो हिंदी फिल्मों में अपना स्थान और नाम बना सकती थीं, लेकिन उन्होंने खुद के लिए अलग राह चुनी। फिल्मों का निर्माण किया। डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनाई और कुमार साहनी को पहली फिल्म बनाने का मौका दिया। उन्होंने कुछ समय पत्रकारिता भी की। उन्होंने हिंदी फिल्मों के प्रवास पर विस्तार से नहीं लिखा है, लेकिन संक्षिप्त विवरणों में ही वे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के पाखंड, दिखावे और मुंहदेखी को उजागर करती हैं। उन्होंने बलराज साहनी पर भी एक टिप्पणी की है। वे कहीं न कहीं हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के तौर-तरीकों में खुद को मिसफिट पाती थीं, इसलिए मुंबई में रहने के बावजूद उनके संपर्क में नहीं रहती थीं।


पांचवें दशक से सातवें दशक के आरंभ तक में भारत के सार्वजनिक जीवन की चंद खूबसूरत महिलाओं में से एक लीला नायडू का जीवन सामान्य नहीं रहा। उनका आभामयी व्यक्तित्व इतना मुखर था कि उनकी मौन उपस्थिति भी बोलती थी। लीला-ए पैचवर्क लाइफ पढ़ते हुए हम आजादी के बाद की एक अभिनेत्री के जीवन और तत्कालीन कुलीन समाज से परिचित होते हैं।

Source: Jagran Yahoo

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh