Menu
blogid : 319 postid : 1772

सशक्त अभिनय की पहचान आशा पारेख- जन्मदिन विशेषांक

asha parekhहिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में कई ऐसे सितारों ने अपनी चमक बिखेरी हैं, जिनकी खूबसूरती और अदाकारी को भूल पाना लगभग नामुमकिन है. इन्हीं सितारों में अपना एक विशिष्ट स्थान रखती है 60 के दशक में अपनी अभिनय प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी अभिनेत्री आशा पारेख. शम्मी कपूर, शशी कपूर, धर्मेन्द्र, देवानंद, अशोक कुमार, सुनील दत्त, राजेश खन्ना जैसे मंझे हुए कलाकारों के साथ काम करने वाली आशा पारेख ने अपने फिल्मी कॅरियर में विभिन्न भूमिकाएं निभाई हैं. संजीदा अभिनेत्री के तौर पर अपनी एक अलग पहचान बनाने वाली आशा पारेख शास्त्रीय नृत्य में भी निपुण है.


आशा पारेख का जीवन-परिचय

मध्यम वर्गीय गुजराती परिवार से संबंध रखने वाली आशा पारेख का जन्म 2 अक्टूबर 1942 को महुआ, गुजरात में हुआ था. आशा पारेख के पिता हिंदू और माता मुसलमान थी. आशा पारेख का पारिवारिक माहौल बेहद धार्मिक था. विभिन्न धर्मों से संबंध होने के बावजूद उनके माता-पिता साई बाबा के भक्त थे. छोटी सी आयु में ही आशा पारेख भारतीय शास्त्रीय संगीत सीखने लगी थी. नृत्य और हिन्दी फिल्म उद्योग को अपना जीवन समझने वाली आशा पारेख अविवाहित है.


आशा पारेख का फिल्मी सफर

आसमान (1952) में बाल कलाकार के रूप में अपने फिल्मी कॅरियर की शुरूआत करने वाली आशा पारेख को इस फिल्म के बाद बेबी आशा पारेख के रूप में पहचान मिलने लगी. एक स्टेज प्रोग्राम में आशा पारेख के नृत्य से प्रभावित हो, निर्देशक बिमल रॉय ने बारह वर्ष की आयु में आशा पारेख को अपनी फिल्म बाप-बेटी में ले लिया. इस फिल्म को कुछ खास सफलता प्राप्त नहीं हुई. इसके अलावा उन्होंने और भी कई फिल्मों में बाल कलाकार की भूमिका निभाई. आशा पारेख ने फिल्मी दुनियां में कदम रखते ही स्कूल जाना छोड़ दिया था. सोलह वर्ष की आयुअ में आशा पारेख ने दोबारा फिल्मी जगत में जाने का निर्णय लिया लेकिन गूंज उठी शहनाई के निर्देशक विजय भट्ट ने आशा पारेख की अभिनय प्रतिभा को नजरअंदाज करते हुए उन्हें फिल्म में लेने से इनकार कर दिया था. लेकिन अगले ही दिन फिल्म निर्माता सुबोध मुखर्जी और लेखक-निर्देशक नासिर हुसैन ने अपनी आगामी फिल्म दिल देके देखो में आशा पारेख को शम्मी कपूर की नायिका के रोल में चुन लिया. इस फिल्म आशा पारेख और नासिर हुसैन को एक दूसरे के काफी नजदीक ले आई थी. नासिर हुसैन ने उन्हें अपनी अगली छ: फिल्मों (जब प्यार किसी से होता है, फिर वही दिल लाया हूं, तीसरी मंजील, बहारों के सपने, प्यार का मौसम, कारवां) में भी नायिका की भूमिका में रखा. खूबसूरत और रोमांटिक अदाकारा के रूप में लोकप्रिय हो चुकी आशा पारेख को निर्देशक राज खोसला ने उन्हें दो बदन, चिराग, मैं तुलसी तेरे आंगन की जैसी फिल्मों में एक संजीदा अभिनेत्री के रूप में स्थापित किया. इसी सुची में निर्देशक शक्ति सामंत ने कटी पतंग, पगला कही का के द्वारा आशा पारेख की अभिनय प्रतिभा को और विस्तार दिया. आशा पारेख ने गुजराती और पंजाबी फिल्मों में भी अभिनय किया है. वर्ष 1995 में अभिनय से निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखने के बाद आशा पारेख ने किसी फिल्म में अभिनय नहीं किया.


asha parekh latestआशा पारेख की प्रमुख फिल्में:दिल दे के देखो 1959, घूंघट 1960, जब प्यार किसी से होता है 1961, घराना 1961, छाया 1961, फिर वही दिल लाया हूं 1963, जिद्‍दी 1964, मेरे सनम 1965, तीसरी मंजिल 1966, लव इन टोक्यो 1966, आये दिन बहार के 1966, उपकार 1967, महल 1969, कन्यादान 1969, आया सावन झूम के 1969, नया रास्ता 1970, कटी पतंग 1970, आन मिलो सजना 1970, मेरा गांव मेरा देश 1971, राखी और हथकड़ी 1972, रानी और लालपरी 1975, कुलवधू 1977, आधा दिन आधी रात 1977, मैं तुलसी तेरे आंगन की 1978, बिन फेरे हम तेरे 1979, सौ दिन सास के 1980, खेल मुकद्‍दर का 1981, कालिया 1981, मंजिल मंजिल 1984, हमारा खानदान 1988, हम तो चले परदेस 1988, बटवारा 1989, प्रोफेसर की पड़ोसन 1993, घर की इज्जत 1994, आंदोलन 1995


आशा पारेख को प्राप्त महत्वपूर्ण पुरस्कार

फिल्म कटी पतंग के सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्म फेयर अवार्ड (1970) , पद्म श्री अवार्ड (1992), लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड (2002) भारतीय फिल्मों में उत्कृष्ट प्रदर्श ने के लिए अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्म अकादमी सम्मान (2006), भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंडल महासंघ (फिक्की) द्वारा लिविंग लेजेंड सम्मान


आशा पारेख को जब फिल्मों में सह अभिनेत्री और साइड हिरोइन का रोल मिलने लगा तो उन्होंने अभिनय से संयास ले लिया. इसके बाद आशा पारेख ने 1990 में गुजराती सीरियल ज्योती के साथ टेलिविजन निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखा. आकृति नामक प्रोडक्शन कंपनी की स्थापना करने के बाद आशा पारेख ने कोरा कागज, पलाश के फूल, बाजे पायल जैसे सीरियल का निर्माण लिया. 1994 से 2001 तक आशा पारेख सिने आर्टिस्ट एसोसिएशन की अध्यक्षा और 1998-2001 तक केन्द्रीय सेंसर बोर्ड की पहली महिला चेयरपर्सन रही. शेखर कपूर की एलिजाबेथ को सेंसर सर्टिफिकेट ना देने के कारण आशा पारेख को कई विवादों का भी सामना करना पड़ा.


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh