संगीत भारतीय फिल्मोद्योग का महत्वपूर्ण हिस्सा है. बीते बरसों में बॉलीवुड ने अभिमान, सुर, रॉक ऑन जैसी संगीतप्रधान फिल्में दीं. अब जल्दी ही एक और संगीतप्रधान फिल्म रॉकस्टार आने वाली है, जो बॉलीवुड और संगीत के गहरे रिश्ते को और भी मजबूत बनाएगी.
हर फिल्म की कहानी की पृष्ठभूमि अलग हो सकती है लेकिन ज्यादातर कहानियों में फिल्म के नायक को महत्वाकांक्षी और संगीत से जुड़े इंसान के तौर पर दिखाया गया है. अगले महीने की 11 तारीख को प्रदर्शित होने जा रही रॉकस्टार में अभिनेता रणबीर कपूर को महत्वाकांक्षी संगीतकार के रूप में पेश किया गया है, जो अपने सपनों को साकार करने के लिए खुद का विनाश करने के पथ पर चल पड़ता है.
बॉलीवुड में संगीतप्रधान फिल्में समय-समय पर बनती रही हैं. फिल्मों में संगीतकारों, गायकों, म्यूजिक बैंड्स के गीत-संगीत में सफ लता, असफलता, ईष्र्या, प्यार, प्रतियोगिता जैसे जिंदगी के एहसासों को उभारने की कोशिश की गई है. साल 1973 में अभिमान, 1981 में याराना, 1995 में अकेले हम अकेले तुम, 1996 में बनी खामोशी, 1999 में बनी ताल, 2002 में दिल विल प्यार-व्यार, 2003 में झंकार बीट्स, 2008 में रॉक ऑन, 2009 की लंदन ड्रीम्स तथा जश्रन् और इसी साल बनी साउंडट्रैक बॉलीवुड की प्रमुख संगीतप्रधान फिल्मों में शामिल हैं.
अमिताभ बच्चन और जया बच्चन अभिनीत अभिमान एक व्यवसायिक गायक, उसके एक ग्रामीण लेकिन सुरीली लड़की से प्रेम और फिर संगीत की दुनिया में उसे मिली लोकप्रियता से ईष्र्या की कहानी है. याराना में एक ऐसे किसान (अमिताभ बच्चन) की कहानी है, जिसकी आवाज सुरीली है और जो बाद में अपने एक मित्र की मदद से बड़ा गायक बनता है.
अकेले हम अकेले तुम एक महत्वाकांक्षी पार्श्व गायक (आमिर खान) की कहानी है, जिसे एक अमीर लड़की (मनीषा कोइराला) से प्यार हो जाता है. यह लड़की शास्त्रीय गायन का प्रशिक्षण ले रही होती है. बाद में लड़की को संगीत की दुनिया में सफलता मिलती है जबकि गायक असफल होता है.
सुर एक ऐसे संगीत शिक्षक की कहानी है जिसे ऐसे विशेष शिष्य की खोज है जो उसके नाम को बड़ा बना सके लेकिन जब उसकी शिष्या को सफलता मिलती है तो वह उससे ईष्र्या करने लगता है. झंकार बीट्स संगीतकार आर.डी. बर्मन को श्रद्धांजलि है. यह फिल्म दो समर्पित संगीतकारों की कहानी है. वहीं रॉक ऑन एक महत्वाकांक्षी म्यूजिक बैंड की कहानी पेश करती है. साउंडट्रैक एक जुनूनी संगीत प्रेमी से डीजे बने और डीजे से संगीत निर्देशक बने एक युवक (राजीव खंडेलवाल) की संवेदनशील कहानी है.
साभार: जागरण
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