हममें से कई लोगों की सुबह सुरीले भजन और भक्ति गीतों को सुनकर होती है. इन सुरीले भजनों और भक्ति गीतों को और अधिक सुरीला बनाने में गायकों का हाथ बड़ा अहम होता है. हिन्दी भजनों को अपनी सुरीली आवाज से संवारने में एक नाम अनुराधा पौडवाल का भी आता है जिन्होंने कई गीतों और भजनों को अपनी आवाज से सुरीला बनाया है. अनुराधा पौड़वाला यूं तो किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं पर संगीत जगत में आज उनको सिर्फ भजनों और भक्ति गीतों के लिए ही याद किया जाता है जिसकी वजह अब संगीत के लिए जरूरी तड़क भड़क वाली आवाज है.
शून्य से शुरू हो अनुराधा पौडवाल ने सफलता का जो शिखर प्राप्त किया है वह बेहतरीन है. टी-सीरीज एवं सुपर कैसेट म्यूजिक कंपनी से 1987 में जुड़ने के बाद उन्होंने संगीत में सफलताओं के नये आयाम हासिल किए. फिल्म ‘सड़क’, ‘आशिकी’, ‘लाल दुपट्टा मलमल का,’ ‘बहार आने तक’, ‘आई मिलन की रात’, ‘दिल है कि मानता नहीं’, जैसी फिल्मों के गीतों ने उन्हें रातोंरात लोकप्रियता की बुलंदी पर पहुंचा दिया. अनुराधा पौडवाल के पति स्वर्गीय अरूण पौडवाल भी एक अच्छे संगीतकार थे और उन्होंने ही अनुराधा पौडवाल को आगे बढ़ने का हौसला दिया.
अनुराधा पौडवाल का जीवन
27 अक्टूबर, 1954 को जन्मी अनुराधा पौडवाल का बचपन मुंबई में बीता जिसकी वजह से उनका रुझान फिल्मों की तरफ था. अपने कॅरियर की शुरूआत उन्होंने 1973 की फिल्म “अभिमान” से की थी. इस फिल्म में उन्होंने एक श्लोक गीत गया था.
इसके बाद साल 1976 में फिल्म “कालीचरण” में भी उन्होंने काम किया पर एकल गाने की शुरूआत उन्होंने फिल्म “आप बीती” से की. इस फिल्म का संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने दिया जिनके साथ अनुराधा ने और भी कई प्रसिद्ध गाने गाए.
काफी साल फिल्मों में गाने के बाद उन्होंने टी-सीरीज के साथ मिलकर काम करना शुरू किया. फिल्म लाल दुपट्टा मलमल का, आशिकी, तेजाब और दिल है की मानता नहीं जैसी सुपरहिट फिल्मों के गानों ने अनुराधा पौडवाल को टी-सीरीज कंपनी का नया चेहरा बना दिया.
फिल्मों में अपने चरम पर पहुंचने पर उन्होंने सिर्फ टी-सीरीज कंपनी के लिए ही गाने का फैसला किया. नतीजा यह हुआ कि टी-सीरीज कंपनी के उस समय से सभी भक्ति गानों और ऑडियो कैसेटों में अनुराधा पौडवाल की ही आवाज होने लगी. लेकिन इसका फायदा उनकी प्रतिद्वंदियों को हुआ जिन्होंने उनकी अनुपस्थिति में फिल्मों में अधिक गाने गाना शुरू कर दिया. लेकिन आज भी अनुराधा पौडवाल की तरह भजन गाना सबके बस की बात नहीं है. माना जाता था अनुराधा एकमात्र ही ऐसी गायिका थी जो मंगेशकर बहनों को टक्कर देने की क्षमता रखती थीं.
अनुराधा पौडवाल के पति अरुण पौडवाल की असमय मृत्यु होने की वजह से उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. ऐसी अफवाहें भी उठीं कि पति की मौत के बाद उनके और टी-सीरीज़ कंपनी के मालिक गुलशन कुमार के बीच अफेयर थे.
लेकिन तमाम ऊंचाई और जिंदगी की गहराई देखने के बाद भी अनुराधा पौडवाल ने गायिकी से कभी मुंह नहीं मोड़ा. आज भी इनकी आवाज में भजनों को सुन मन शांत होता है.
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