बॉलिवुड में देवानंद का नाम एक ऐसे अभिनेता के रूप में लिया जाता है जो हमेशा सदाबहार रहे. आज बेशक देवानंद हमारे बीच नही हैं पर उनकी यादों को तो हम अपने दिल से जुदा नहीं कर सकते. पर्दे पर उन्होंने रोमांस की जो परिभाषा रची आज भी अभिनेता उसे समझने की कोशिश करते हैं. पर्दे पर जिस तरह का रोमांस देव साहब अपनी नायिकाओं के साथ करते थे असल जिंदगी में भी उनका प्रेम जीवन कुछ ऐसा ही था.
प्यार में चोट खाए, धर्म और पैसे की वजह से प्यार का अधूरा रहना, नायिका का अंगूठी को सागर में फेंकना, अपनी प्रेमिका को किसी और की बाहों में देखना और ना जाने ऐसे कितने मौके देव साहब की जिंदगी में आए जो कभी सिर्फ फिल्मी पर्दे के दृश्य लगा करते थे.
सिनेमा के पर्दे पर आम तौर पर अपनी नायिका को आखिर में हासिल कर लेने वाले अभिनेता देवानंद की असल जिन्दगी में कई मौके आए जब उनका दिल टूटा और हसरत अधूरी रह गई. सुरैया के साथ उनकी अधूरी प्रेम कहानी गुजरे जमाने के लोगों के जुबान पर रही लेकिन देव साहब जिस तरह अपने पांच दशक के फिल्मी जीवन के दौरान कई हीरोइनों के नायक बने उसी तरह कई महिलाएं उनके दिलों की रानी बनीं.
जिस तरह लड़कियां उन पर फिदा होती थीं उससे उनकी पत्नी इतनी जलती और टूट जाती थी कि रोने भी लगती थी. लेकिन इन सब के बीच सदाबहार देवानंद का जादू कभी कम नहीं हुआ. आइए जानते हैं कुछ ऐसी हिरोइनों के बारे में जिनसे देवानंद का कभी दिल लगा था.
देवानंद और सुरैया: नरगिस और राजकपूर की तरह देव आनंद और सुरैया की प्रेम-कहानी भी उन दिनों खूब चर्चा के केंद्र में रही. देव और सुरैया दोनों एक-दूसरे को बहुत चाहते थे, यह बात न केवल फिल्म इंडस्ट्री के लोग, बल्कि फिल्मी दर्शक भी अच्छी तरह जानते थे. सुरैया-देव आनंद ने एक साथ सात फिल्मों में काम किया. इनमें विद्या, जीत, शेर, अफसर, नीली, दो सितारे, और 1951 में सनम. सभी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर खूब चलीं.
जीत फिल्म के सेट पर देव आनंद ने सुरैया से अपने प्यार का इजहार किया और सुरैया को तीन हजार रुपयों की हीरे की अंगूठी दी.
सुरैया की नानी को ये रिश्ता नामंजूर था, वो एक हिंदू-मुसलिम शादी के पक्ष में नहीं थीं. कहा जाता है कि उनकी नानी को फिल्म में देव आनंद के साथ दिए जाने वाले रोमांटिक दृश्यों से भी आपत्ति थी. वो दोनों की मोहब्बत का खुलकर विरोध करती थीं. यही नहीं बाद में उन्होंने देव आनंद का सुरैया से फोन पर बात करना भी बंद करवा दिया था. उन्होंने देव आनंद को सुरैया से दूर रहने की हिदायत दी और पुलिस में शिकायत दर्ज करने की धमकी तक दे डाली. नतीजतन दोनों ने अलग होने का फैसला किया. इसके बाद दोनों ने एक भी फिल्म में साथ काम नहीं किया और ताउम्र सुरैया ने किसी से शादी नहीं की. बड़े पर्दे पर दोनों की आखिरी फिल्म दो सितारे थी. कहा जाता है कि दोनों के अलग होने के फैसले के बाद सुरैया ने देव आनंद की दी हुई अंगूठी को समुद्र के किनारे बैठकर समुद्र में फेंक दिया. देव आनंद ने कभी भी अपने और सुरैया के रिश्ते को किसी से छुपाया नहीं.
यही नहीं अपनी किताब रोमांसिंग विद लाइफ में देव आनंद ने अपने और सुरैया के रिश्ते के बारे में भी बताया और यह बात भी लिखी कि सुरैया के साथ अगर जिंदगी होती तो वो कुछ और होती.
देवानंद और जीनत अमान: कहते हैं प्यार एक बार मिलता है बार-बार नहीं और जो बार-बार मिले वह प्यार नहीं. देवानंद की जिंदगी में सुरैया के बाद दूसरी लड़की आई जीनत अमान.
बॉलीवुड के सदाबहार हीरो देवानंद फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ से रूपहले पर्दे पर जलवे बिखेरने वाली अभिनेत्री जीनत अमान की मोहब्बत में एक समय खो से गए थे लेकिन जल्दी ही उनका दिल टूट गया जब एक पार्टी में उन्होंने राज कपूर को जीनत से गलबहियां करते देखा.
दरअसल देव साहब जीनत की तरफ आकर्षित थे और एक बार जब वह उनके साथ कार में जा रहे थे तो उन्होंने जीनत की तारीफ करते हुए कहा था कि यह चश्मा तुम पर बहुत फब रहा है. इस पर जीनत ने यह चश्मा उतारकर देवानंद की जेब में रख दिया था. इसे संकेत समझ देवानंद ने एक बार जीनत से डेट पर चलने की गुजारिश की. तब जीनत ने उन्हें याद दिलाया कि शाम को ही वे दोनों एक पार्टी में साथ रहने वाले हैं. इस पर देवानंद ने सोचा था कि पार्टी से वह जीनत के साथ चुपके से खिसक लेंगे लेकिन जब दोनों लोग वहां पहुंचे तो पहले से मौजूद राज कपूर से जीनत जिस अंदाज में गले मिलीं, चुम्बन दिया उससे देवानंद का दिल टूट गया. देवानंद ने लिखा है कि उस वक्त उन्हें ऐसा लगा कि वह कहीं एकांत में चले जाएं.
देव आनंद और कल्पना कार्तिक: जीनत और सुरैया के प्यार में हारने के बाद देव साहब को सहारा मिला फिल्म “बाजी” की हिरोइन कल्पना कार्तिक का. फिल्म के दौरान दोनों दोस्त बने और प्यार के बीज भी फूट गए.
बाजी समाप्त होते-होते दोनों को प्यार हो गया. मुलाकातें बढ़ने लगीं. इस बीच बाजी रिलीज होकर हिट हो गई. उसके बाद नवकेतन में अगली फिल्म टैक्सी ड्राइवर जोर-शोर से शुरू हो गई.
यह बात 1954 के पहले महीने की है. 1953 के अंत में देव और कल्पना ने अपने प्यार पर शादी की मुहर लगाने का निर्णय लिया. दोनों ने गुपचुप शादी भी कर ली. इस शादी की खबर देवानंड के बड़े भाई चेतन आनंद को भी नहीं लगी. काफी दिनों बाद इस बात का खुलासा तब हुआ, जब दोनों पति-पत्नी साथ रहने लगे. कल्पना शायद अकेली ऐसी हीरोइन हैं, जिन्होंने केवल अपने पति के ही साथ अभिनय किया. बाजी से आखिरी फिल्म नौ दो ग्यारह तक दोनों पांच फिल्मों में साथ आए.
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