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Ek Tha Tiger Controversy: तो क्या यह हैं असली टाइगर

Ek Tha Tiger Controversy

आजकल बॉलिवुड में जासूसों के ऊपर फिल्में बनने का ट्रेंड सा चल रहा है. हाल ही में “एजेंट विनोद” आई थी तो अब इस स्वत्रंता दिवस पर आने वाली है एक था टाइगर”.

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एक था टाइगर निर्देशक कबीर खान के निर्देशन में बन रही है जिसमें नजर आएंगे सलमान खान और कैटरीना कैफ. यूं तो फिल्म से जुड़े सभी लोग इसे एक बिलकुल नई कहानी मान रहे हैं लेकिन इंटरनेट की इस दुनिया में कहां कुछ छुप पाता है और यही वजह है कि फिल्म से जुड़ा एक नया विवाद सामने आ रहा है.


Ravindra KaushikWho is Ravinder Kaushik

माना जा रहा है कि एक था टाइगर (EK THA TIGER) की मूल कहानी रॉ के पूर्व एजेंट दिवंगत रवीन्द्र कौशिक की जिंदगी से जुड़ी है. तो चलिए जानते हैं आखिर कौन हैं रवीन्द्र कौशिक. (नोट:यह कहानी आजकल फेसबुक पर बहुत ज्यादा शेयर हो रही है और हम भी आपको उसी कहानी से अवगत करा रहे हैं. यह जानकारी विकीपीडिया पर अंग्रेजी में भी उपलब्ध है.)



Ek Tha Tiger Real Hero : Ravinder Kaushik

जब बात जासूसी की आती है तो यह सभी जानते हैं कि भारत की रॉ भी समय-समय पर भारतीय गुप्तचरों को पाकिस्तान और अन्य देशों में भेजती है. ऐसे ही एक गुप्तचर यानि जासूस थे रवीन्द्र कौशिक.


Ek-Tha-Tiger2-300x176Real Story of EK THA TIGER

रवीन्द्र कौशिक भारत की जासूसी संस्था रॉ के भूतपूर्व एजेन्ट थे. राजस्थान के श्रीगंगानगर में पले-बढ़े रवीन्द्र ने 23 साल की उम्र में ग्रेजुएशन करने के बाद रॉ ज्वाइन की थी.


उस समय देश के हालात कुछ खास अच्छे नहीं थे. भारत, पाकिस्तान और चीन के साथ एक-एक लड़ाई लड़ चुका था और पाकिस्तान भारत के खिलाफ एक और युद्ध की तैयारी कर रहा था. जब भारतीय सेना को इसकी भनक लगी उसने रॉ के जरिये रवीन्द्र कौशिक को भारतीय जासूस बनाकर पाकिस्तान भेजा. वहां जाकर रवींद्र कौशिक ने एक कालेज में दाखिला लिया. यहां से वो कानून की पढ़ाई में एक बार फिर ग्रेजुएट हुए और उर्दू सीखी. इन सबके साथ रवीन्द्र पाकिस्तानी सेना में जासूसी के लिये भर्ती हो गये. पाकिस्तान को इस बात की भनक भी नहीं लगी कि उनकी सेना में भारत का ही एक गुप्तचर छुपा हुआ है.

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जासूसी का बेहतरीन नमूना

रवीन्द्र ने 30 साल अपने घर से दूर रहकर देश की खातिर खतरनाक परिस्थितियों के बीच पाकिस्तानी सेना में बिताए.


Indian Spy

पाकिस्तान भारत के खिलाफ कारगिल मोर्चा बहुत पहले खोलने वाला था लेकिन रवीन्द्र कौशिक ने अपनी सूझबूझ से ऐसा नहीं होने दिया. भारतीय सेना को रवीन्द्र के जरिये रणनीति बनाने का पूरा मौका मिला और पाकिस्तान को राजस्थान की सीमा से घुसपैठ नहीं करने दी गई.


माना जाता है कि पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में भी रवीन्द्र कौशिक की मदद से भारतीय सेना ने पहलगाम में घुसपैठ कर चुके 50 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया. पर दुर्भाग्य से रवीन्द्र का राज पाकिस्तानी सेना के सामने खुल गया और उन्हें जासूसी के आरोप में गिरफ्तार कर पाकिस्तान जेलों में सड़ने को भेज दिया गया.


यह मिला जासूसी करके

देश के लिए अपनी जान लगा देने वाले रवींद्र कौशिक को देश से कुछ भी नसीब नहीं हुआ. रवीन्द्र ने किसी तरह भागकर खुद को बचाने के लिये भारत सरकार से अपील की पर सच्चाई सामने आने के बाद तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने उन्हें भारत वापस लाने में कोई रुचि नहीं दिखाई. अंत में उन्हें पाकिस्तान में ही पकड़ लिया गया और जेल में डाल दिया गया. पाकिस्तानी जेल में रवीन्द्र पर कई तरह के जुल्म हुई लेकिन उन्होंने अपना मुंह नहीं खोला. इधर भारत सरकार ने भी उन्हें छुड़ाने की कोई खास कोशिश नहीं की. बाद मे जेल में ही रवींद्र कौशिक की मौत हो गई.


माना जा रहा है कि “एक था टाइगर” रवीन्द्र कौशिक के जीवन पर ही आधारित है. जब इस फिल्म का निर्माण हो रहा था तो भारत सरकार के भारी दखल के बाद इसकी स्क्रिप्ट में फेरबदल करके इसकी कहानी में बदलाव किया गया .


अब यह कहानी सच है या झूठ यह तो निर्देशक कबीर खान ही जानते हैं पर इस सच्चाई से कोई मुंह नहीं मोड़ सकता कि भारत सरकार कई मौकों पर अपने जासूसों के पकड़े जाने पर उनसे पल्ला झाड़ लेती है जो बिलकुल अनैतिक है. भारतीय सेना के इस रहस्यमयी और बेगाने शहीद को चाहे जिंदा रहते किसी ने ना याद किया हो पर उनकी मौत के बाद फिल्म के रूप में ही सही उनकी किसी को याद तो आई.


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