बॉलीवुड में ऐसे कलाकारों की कमी नहीं जिन्होंने अपने जीवन के वास्तविक सोच को सिनेमाई पर्दे के जरिए उकरने की कोशिश न की हो. ऐसे ही एक कलाकार हैं अभिनेता अनुपम खेर. अपनी कई फिल्मों से अनुपम खेर ने एक बार फिर दिखा दिया कि वह अभिनय के लिहाज बेहद ही परिपक्व कलाकार हैं. ऐसा कलाकार जिसे कोई भी किरदार दे दिया जाए उसको पर्दे पर सामने लाना उनके बाएं हाथ का खेल है.
अनुपम खेर ने अभिनय की शुरुआत रंगमंच से की और वह जल्द ही बड़े पर्दे के सितारे बन गए. उन्होंने अभी तक सैकड़ों फिल्में की होंगी जिनमें कई ऐसी फिल्में हैं जिसमें उन्होंने अभिनय करके उस किरदार को जीवंत कर दिया. उन्हें भले ही मुख्य भूमिका के रूप में बहुत ही कम रोल मिले हों लेकिन जो भी मिला उन्होंने बेहद ही ईमानदारी से निभाया. एक विलेन से लेकर एक लाचार पति, एक वकील से लेकर एक ड्रग माफिया सभी किरदारों में अनुपम खेर ने अपनी छाप छोड़ी.
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अनुपम खेर (Anupam Kher )का जन्म 7 मार्च, 1955 को शिमला में हुआ था. शिमला में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने अपने एक्टिंग कॅरियर की शुरुआत की थी. अनुपम ने एक्टिंग की दुनिया में अपना सिक्का जमाने के लिए 1974 में शिमला छोड़ दिया था और जगह-जगह भटकने के बाद आखिरकार दिल्ली के राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) से जुड़ गए.
1978 में वहां से पास करने के बाद अभिनय क्षेत्र में हाथ आज़माना शुरू भी कर दिया और कई साल तक स्टेज पर काम करते रहे. अपने फिल्मी कॅरियर की शुरुआत अनुपम खेर (Anupam Kher ) ने 1982 में “आगमन” नामक फिल्म से की थी लेकिन 1984 में आई ‘सारांश’ उनकी पहली हिट फिल्म मानी जाती है. इस फिल्म में उन्होंने एक रिटायर वृद्ध कैरेक्टर की भूमिका को पर्दे पर निभाया था. इस फिल्म को करते समय अनुपम की उम्र 28 की थी और उन्हें जिस किरदार का रोल निभाना था उसकी उम्र 60 से ज्यादा की थी फिर भी अपने अभिनय के दम पर अनुपम खेर ने इस रोल को बेमिसाल बना दिया.
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तीन दशकों के अपने अभिनय कॅरियर के दौरान अनुपम खेर कई बार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की फिल्मों में अपने अभिनय क्षमता का लोहा मनवा चुके हैं.
बॉलीवुड में अनुपम खेर एक ऐसे अभिनेता हैं जिन्हें अभिनय के अलावा कुछ ऐसे काम करने का क्रेज है जिसमें संवेदना जुड़ी हो. जब भारत में लाखों लोग भ्रष्टाचार के विरोध में अन्ना का समर्थन कर रहे थे तो उसमें अनुपम खेर भी शामिल थे. जहां महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण की बात हो वहां अनुपम खेर और उनका परिवार आगे रहता है. हाल ही में उन्होंने कश्मीरी पंडितों की समस्याओं पर जरूरी ध्यान न देने के लिए सरकार की आलोचना की थी.
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