‘औरत ने जन्म दिया मर्दों को, मर्दों ने उसे बाजार दिया.जब जी चाहा कुचला मसला, जब जी चाहा दुत्कार दिया’ साहिर लुधियानवी की यह पंक्तियां समाज के उन वास्तविक चेहरों को उभारती है जिस पर झूठ और दिखावे का पर्दा है.
मंदिर में पूजते हैं फिर घर में मारते क्यूं हैं?
साहिर लुधियानवी का जीवन (Sahir Ludhianvi Life)
समाज की विषमताओं, विसंगतियों का अपने गीतों और शायरों के माध्यम से पर्दाफाश करने वाले साहिर लुधियानवी का जन्म 8 मार्च, 1921 को पंजाब के लुधियाना में एक धनी मुस्लिम परिवार में हुआ. साहिर का परिवार बिखरा-बिखरा था. सन 1934 में जब वह 13 साल के थे तब उनके पिता ने उनकी मां छोड़कर दूसरी शादी कर ली. मां पर हो रहे अत्याचार को लेकर साहिर के मन में अपने पिता के खिलाफ नफरत और मां के प्रति हमदर्दी थी.
साहिर लुधियानवी का प्यार (Sahir Ludhianvi love life)
साहिर लुधियानवी की शिक्षा लुधियाना से ही हुई. उन्होंने वहीं से ही स्नातक की डिग्री हासिल की. वह कॉलेज के समय से ही अपनी गजलों और नज्मों के लिए लोकप्रिय थे. वह किसी के प्यार में भी थे जिनका नाम था अमृता प्रीतम. उन्होंने यह बात अपनी किताबों और इंटरव्यू के जरिए स्वीकारा. उनके जीवन में अमृता के अलावा और भी कई लड़कियां आईं लेकिन उनमें से कोई भी उनकी जीवन साथी नहीं बन पाई.
अब सहवाग के संन्यास की बारी !!
साहिर लुधियानवी का फिल्मी सफर (Sahir Ludhianvi in Film)
अपनी गीतों को नए तेवर देने वाले साहिर लुधियानवी ने फिल्म ‘आजादी की राह पर’ (1949) अपना पहला गाना लिखा. इस फिल्म में इनके लिखे हुए चार गाने थे. साहिर को पहली बड़ी सफलता गुरुदत्त की फिल्म ‘बाजी’ से मिली. साहिर ने वैसे तो कई निर्माताओं, निर्देशकों और संगीतकारों के साथ काम किया लेकिन निर्माता-निर्देशक बीआर चोपड़ा और यश चोपड़ा तथा संगीतकार सचिन देव बर्मन और एन दत्ता के साथ उनका लंबा साथ रहा.
साहिर लुधियानवी को प्राप्त पुरस्कार (Sahir Ludhianvi Awards)
उन्हें फिल्म ताजमहल(1963) और कभी-कभी (1976) में गीतों के लिए दो बार फिल्म फेयर पुरस्कार मिला. 1971 में उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया. साहिर के गीतों और शायरों में एक विविधता और बेबाकी दिखती थी. उन्होंने अपने गीतों के माध्यम से समाज की हकीकत को बाहर लाने की कोशिश की.
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