जब किसी को प्यार होता है तो उम्र, धर्म, जैसी किसी भी बातों की सीमा नहीं रहती है. कुछ ऐसा ही इनके साथ भी हुआ. एक नजर भर में ही यह अपना दिल खलनायक की मां पर हार गए. अब आप सोच में होंगे कि आखिरकार खलनायक की मां में ऐसी क्या बात थी जो यह एक पल भर में ही अपना दिल हार गए. पहले तो आपको यह बता दें कि यहां शोमैन, अभिनेता, निर्माता, निर्देशक राज कपूर की बात हो रही है और वो पहली नजर में ही खलनायक की मां मतलब संजय दत्त की मां नर्गिस को पसंद करने लग गए थे.
Raj Kapoor Affairs: Raj Kapoor And Nargis
यहां तक कि हिन्दी सिनेमा के उस समय में यह तक कहा जाने लगा था कि फिल्मी पर्दे पर सबसे रोमांटिक जोड़ी राज कपूर और नर्गिस की है. फिल्म ‘आह’, ‘बरसात’, ‘आवारा’ और ‘श्री 420′ जैसी फिल्मों में राज और नर्गिस की जोड़ी ने हजारों दर्शकों का दिल जीत लिया. राज और नर्गिस का हाथों में लिया हुआ वायलेन एक रोमांटिक पोज ‘आर के बैनर’ का सिंबल बन गया था. ‘प्यार हुआ इकरार हुआ’, ‘मुझे किसी से प्यार हो गया’, ‘दम भर जो उधर मुंह फेरे’ जैसे कई सुपरहिट गानों में दोनों के बीच का प्यार नजर आता है. राज कपूर और नर्गिस ने कभी भी अपने प्यार का इजहार समाज के सामने नहीं किया पर अधिकांश लोग यही सोचते थे कि यह जोड़ी केवल पर्दे पर ही रोमांटिक नहीं असल जिंदगी में भी काफी रोमांटिक थी. चलिए आपको बताते हैं कि राज कपूर की फिल्मी पर्दे पर किन-किन सुंदरियों के साथ रोमांटिक जोड़ी बनी.
Raj Kapoor: हेमा से लेकर नूतन तक की कहानी
हेमा मालिनी और नूतन जैसी मशहूर अभिनेत्रियों के साथ भी राज कपूर की जोड़ी बनी पर जितना नर्गिस और राज कपूर की जोड़ी मशहूर हुई उतना अन्य जोड़ियां नहीं हो सकीं. फिल्म ‘अनाड़ी’ में नूतन और राज कपूर की जोड़ी ने दर्शकों का दिल जीत लिया. हेमा मालिनी और राजकपूर की फिल्म ‘सपनों का सौदागार’ से हेमा को ड्रीमगर्ल नाम की एक नई पहचान मिली पर राजकपूर और उनकी जोड़ी सिर्फ एक ही फिल्म में नजर आई.
Raj Kapoor:बैजयंती माला, जीनत और वहीदा रहमान
फिल्म ‘संगम’ में बैजयंती माला राजकपूर की हीरोइन थीं और कहते हैं कि इस फिल्म तक आते-आते राज को अपनी बढ़ती उम्र का एहसास होने लगा था. शायद इसलिए इस फिल्म के एक मशहूर गाने के शब्द कुछ ऐसे थे ‘मैं क्या करूं राम मुझे बुड्ढा मिल गया’. राज कपूर के बारे में कहा जाता है कि वो अपनी फिल्म की हर हीरोइन से प्रेम करने लगते थे. राज कपूर ने कई फिल्में निर्देशित भी कीं और उन सब फिल्मों में से अधिकांश फिल्में काफी सुपरहिट रही थीं. फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ में राज कपूर ने जिस तरीके से जीनत को प्रदर्शित किया था वो वास्तव में तारीफ करने लायक है. फिल्म ‘तीसरी कसम’ आर के बैनर की फिल्म नहीं थी लेकिन शैलेंद्र की फिल्म होने से इसमें आरके बैनर का पूरा प्रभाव था. इस फिल्म की नायिका वहीदा रहमान थीं. यह फिल्म अपने शुरुआती दौर में बहुत सफल नहीं हुई पर इसमें राज कपूर और वहीदा रहमान की जोड़ी को दर्शकों द्वारा सराहा गया था.
Raj Kapoor Filmography: Raj Kapoor Movies
राज कपूर की खास बात
हिन्दी सिनेमा में शोमैन के नाम से मशहूर राज कपूर ने अश्लीलता और सौंदर्य प्रदर्शन के बीच के अंतर को दर्शकों को समझाया था. राज कपूर बहुत ही सरल अंदाज से अपनी फिल्मों की कहानी के अनुसार अभिनेता और अभिनेत्री का चुनाव कर लेते थे. इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि साल 1973 में महज 15 साल की उम्र में अभिनेत्री डिम्पल कपाड़िया ने राज कपूर की फिल्म ‘बॉबी’ से अपने कॅरियर की शुरुआत की और यह फिल्म उस समय की सुपरहिट फिल्म रही थी.
Raj Kapoor Biography
पृथ्वीराज कपूर के सबसे बड़े बेटे राज कपूर का जन्म 14 दिसम्बर, 1924 को पेशावर में हुआ था. उनका बचपन का नाम रणबीर राज कपूर था. अपने पिता के साथ वह वर्ष 1929 में मुंबई आए और उनके ही नक्शे कदम पर चलते हुए सिनेमा जगत में अपने आप को महान बनाया.
Raj Kapoor Biography In Hindi
महज 11 साल में ‘इंकलाब’
साल 1935 में राज कपूर ने पहली बार फिल्म ‘इंकलाब’ में काम किया था तब वह महज 11 साल के थे. उनकी पहली अभिनेता रूपी फिल्म थी “नीलकमल”. हालांकि अभिनेता होने के साथ उनके मन में एक अभिलाषा थी कि वह स्वयं निर्माता-निर्देशक बनकर अपनी स्वतंत्र फिल्म का निर्माण करें और 24 साल की उम्र में फिल्म आग (1948) का निर्देशन कर वह बॉलिवुड के सबसे युवा निर्देशक बन गए. राज कपूर ने सन् 1948 से 1988 तक की अवधि में अनेक सफल फिल्मों का निर्देशन किया जिनमें अधिकतम फिल्में बॉक्स आफिस पर सुपर हिट रहीं. अपने द्वारा निर्देशित अधिकतर फिल्मों में राज कपूर ने स्वयं हीरो का रोल भी निभाया था.
Raj Kapoor Death
राज कपूर की फिल्मों में मौज-मस्ती, प्रेम, हिंसा से लेकर अध्यात्म और समाजवाद तक सब कुछ मौजूद रहता था. उनकी सबसे लोकप्रिय और महत्वाकांक्षी फिल्म थी “मेरा नाम जोकर”. इस फिल्म के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की थी. हालांकि लोग “श्री 420” को उनकी सफलतम फिल्म मानते हैं. निर्माता-निर्देशक के रूप में राजकपूर अंत तक दर्शकों की पसंद को समझने में कामयाब रहे. फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ के बाद राज कपूर फिल्म ‘हिना’ पर काम कर रहे थे पर नियति को यह मंजूर नहीं था और दादा साहब फाल्के सहित विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित इस महान फिल्मकार का दो जून 1988 को निधन हो गया. राज कपूर जैसे अभिनय की झलक शायद ही किसी अन्य अभिनेता में देखने को मिले पर कहते हैं कि यदि रणबीर कपूर अपने अभिनय में सुधार करते रहे तो बहुत जल्द ही दर्शक उनमें उनके दादा मतलब राज कपूर की झलक देखने लगेंगे.
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