दुनिया की भीड़ में अपनी मेहनत से अपना मुकाम बना पाना सरल कार्य नहीं पर किशोर कुमार ने जिंदगी की जंग में अपने कठोर परिश्रम से विजय हासिल की. किशोर कुमार ने हिन्दी सिनेमा की गायिकी में अपना ऐसा मुकाम बनाया जिसे भुला पाना आज भी आसान नहीं है. इसके बावजूद भी किशोर कुमार की जिंदगी ‘कोरा कागज’ के उस गीत जैसी लगती है जिसे स्वयं उन्होंने गाया था. गीत के बोल कुछ इस तरह थे:
मेरा जीवन कोरा कागज कोरा ही रह गया
जो लिखा था, आंसुओं के संग बह गया
एक हवा का झोंका आया, टूटा डाली से फूल
ना पवन की, ना चमन की, किस की है ये भूल
खो गयी खुशबू हवा में, कुछ ना रह गया
उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां
ना डगर है, ना खबर है, जाना है मुझको कहां
बन के सपना, हमसफर का साथ रह गया
मेरा जीवन कोरा कागज कोरा ही रह गया
इस गीत के बोल याद दिलाते हैं किशोर कुमार की निजी जिंदगी के उस दुख की जब चार शादियां करने के बावजूद भी उनकी जिंदगी में प्यार की कमी रही. जिंदगी के हर क्षेत्र में मस्तमौला रहने वाले किशोर कुमार के लिए उनकी लव लाइफ भी बड़ी अनोखी थी. प्यार, गम और जुदाई से भरी उनकी जिंदगी में चार पत्नियां आईं. किशोर कुमार की पहली शादी रूमा देवी से हुई थी, लेकिन जल्दी ही शादी टूट गई. इसके बाद उन्होंने मधुबाला के साथ विवाह किया. लेकिन शादी के नौ साल बाद ही मधुबाला की मौत के साथ यह शादी भी टूट गई. साल 1976 में किशोर कुमार ने अभिनेत्री योगिता बाली से शादी की लेकिन यह शादी भी ज्यादा नहीं चल पाई. इसके बाद साल 1980 में उन्होंने चौथी और आखिरी शादी लीना चंद्रावरकर से की जो उम्र में उनके बेटे अमित से दो साल बड़ी थीं.
किशोर कुमार की निजी जिंदगी में दुखों का सिलसिला कुछ इस कदर ही चलता रहा और एक दिन 13 अक्टूबर साल 1987 को दिल का दौरा पड़ने के कारण उनकी मौत हो गई. आज 13 अक्टूबर, 2013 है और हम किशोर कुमार की उन सभी बातों को याद करेंगे जिन्होंने उन्हें ‘किशोर कुमार’ बनाया.
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