एक व्यक्ति जिसने सच्चाई के लिए आवाज उठाई पर उसे बदले में दर्दनाक मौत मिली. यह कहानी है साल 1992-93 की जब उन्हें मुंबई में हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया था. अपनी गिरफ्तारी के बाद में उन्होंने कानून की पढ़ाई पढ़ी और फिर झूठे आरोपों के तहत गिरफ्तार किए गए लोगों के बचाव में काम करना शुरु कर दिया. इन सब बातों के बदले ‘शाहिद’ नाम के वकील को बदले में मौत मिली.
वकील शाहिद आजमी के असली जीवन पर फिल्म ‘शाहिद’ निर्देशित करने का फैसला निर्देशक हंसल मेहता ने लिया. हंसल मेहता का यहां तक मानना है कि शहर में एक सड़क शाहिद के नाम पर होनी चाहिए.
फिल्म – शाहिद
निर्देशक: हंसल मेहता
निर्माता: अनुराग कश्यप, सुनील बोहरा, सिद्धार्थ रॉय कपूर
कलाकार: राजकुमार यादव
संगीतकार: करणकुलकर्णी
रेटिंग: *** ½
यहां इस लिस्ट में निर्देशक हंसल मेहता का नाम पहले दिया गया है क्योंकि फिल्म ‘शाहिद’ के जरिए वास्तविक जीवन से जुड़ी कहानी दिखाने के लिए शायद दर्शक हंसल मेहता को धन्यवाद देना जरूरी समझे.
प्रेमिका बदलने वाला युवक मत कहिए !!
इस फिल्म की कहानी शुरू होती है ‘संदिग्ध टाडा आरोपी’ की कहानी से. धीरे-धीरे कोर्ट रूम के कंपकंपा देनेवाले कुछ मार्मिक दृश्य के साथ फिल्म की कहानी आगे बढ़ती रहती है. शाहिद फिल्म में जिंदगी की भीख मांग रहे जेल में बंद उन संदिग्ध टाडा आरोपियों का क्या होता, अगर शाहिद आजमी उनके लिए लड़ने नहीं आता ? इसे आधार बनाकर पूरी फिल्म की कहानी की रचना की गई है.
निर्देशन नहीं आंखों के सामने चल रही घटना है
फिल्म का निर्देशन तभी बेहतर होता है जब इसे देखने वाले फिल्म ना कहें बल्कि आंखों के सामने चल रही घटना का नाम दें. फिल्म ‘शाहिद’ की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. राजकुमार यादव का अभिनय फिल्म में वास्तविकता की जान डाल देता है. रात की खामोशी को चीरती टेलीफोन की तीखी आवाजें और अचानक सामने आ जाने वाले खतरों को हंसल मेहता ने बहुत बेहतरीन तरीके से दिखाया है.
क्यों देखें: यदि ड्रामा फिल्म पसंद है तो.
क्यों ना देखें: यदि सच्चाई से जुड़ी कहानी को फिल्म के रूप में देखना पसंद नहीं है तो.
Web Title: shahid azmi story
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