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करोगे याद तो हर बात याद आएगी

करोगे याद तोहर बात याद आएगी

गुजरते वक्त कीहर मौज ठहर जाएगी

ये चांद बीते जमानों का आइना होगा

भटकते अब्र में चेहरा कोई बना होगा

उदास राह कोई दास्तां सुनाएगी

गली के मोड़ पेसूना सा कोई दरवाजा

तरसती आंखों सेरास्ता किसी का देखेगा

निगाह दूर तलकजा के लौट आएगी

करोगे याद तोहर बात याद आएगी


बहुत खूब लिखा है कि ‘करोगे याद तो हर बात याद आएगी, गुजरते वक्त की हर मौज ठहर जाएगी’। बाजार फिल्म के इस गीत के बोल स्मिता पाटिल जैसी अभिनेत्री की जिंदगी पर सटीक बैठते हैं। बाजार फिल्म को स्मिता पाटिल के अभिनय ने बेहतर बना दिया था। स्मिता पाटिल के साथ जिस किसी शख्सियत ने काम किया उन सभी का यही कहना है कि उनके साथ अभिनय करने का अनुभव जिंदगी की यादों की माला में हमेशा के लिए एक मोती पिरो लेने जैसा है।

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smita patil life storyस्मिता पाटिल को जब कभी भी याद किया जाता है तो उनसे जुड़ी हर बात का जिक्र जरूर होता है। आज भी स्मिता के चाहने वालों की निगाहें उनके अभिनय की झलक किसी और अभिनेत्री में देख पाने के लिए तरसती हैं। निगाहें उदास हो जाती हैं जब उन्हें उस दरवाजे से वापस लौटना होता है जहां से किसी के आने की कोई उम्मीद नहीं होती।


17 अक्टूबर साल 1955 को स्मिता पाटिल का जन्म हुआ और आज इसी तारीख पर उनसे जुड़ी तमाम बातों की चर्चा की जाएगी पर शायद हम इस लेख में ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि यह लेख स्मिता पाटिल के उन चाहने वालों के नाम है जो उनके अभिनय के कायल सालों पहले भी थे और आज भी हैं।

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smita patilक्या आज के बॉलीवुड के समय में ऐसी कोई अभिनेत्री है जिसका चेहरा चमकदार ना हो और इसके बावजूद भी उसके चाहने वालों की लिस्ट में कमी ना हुई हो। यदि हिन्दी सिनेमा कई अर्थों में बॉलीवुड से आगे है तो इस मामले में भी कहीं ज्यादा आगे है। हिन्दी सिनेमा के समय में सबके दिलों पर राज करने वाली अभिनेत्री स्मिता पाटिल का चेहरा ना तो ज्यादा चमकदार था और ना ही उनकी देह में ऐसा कोई आकर्षण था जिसे देखकर लोग उनके कायल बन जाएं। स्मिता के पास स्वयं के अनुभव से प्राप्त किया हुआ तोहफा था या फिर दाता की भेंट पर उनके चेहरे में एक ऐसा आकर्षण था जिसे वो ही दर्शक समझ सकता था जिसे अभिनय की समझ हो।


आंखों की नजाकत, पल्लू को उठाकर प्यार की परिभाषा समझाना और दिल में बसे दर्द को आंसुओं के सहारे समझाने की कला स्मिता पाटिल शायद नहीं जानती थीं पर उन्हें इतना पता था कि अपनी आवाज के सहारे भर से ही तमाम भावनाओं को कैसे बयां कर देना है। दिल के दर्द को बयां करना हो तो उन्हें आंसुओं के सहारे से नहीं बल्कि अपनी आवाज को ही दर्द का रूप देकर अभिनय की कसौटी पर स्वयं को परखती थीं। 31 वर्ष की उम्र में 13 दिसंबर साल 1986 को स्मिता पाटिल ने दुनिया को अलविदा कह दिया पर उस दौरान उनके किसी चाहने वाले ने सही ही कहा था कि:


तरसती आंखों सेरास्ता किसी का देखेगा

निगाह दूर तलकजा के लौट आएगी

करोगे याद तोहर बात याद आएगी।


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