“चुपके-चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है हमको अब तक आशिकी का वो ज़माना याद है.” कितनी अजीब होती है मुहब्बत की दास्तां! जब आपका प्यार आपके पास होता है आपको उसकी कदर नहीं होती है और जब वही प्यार आपसे दूरी बना लेता है तब साथी के साथ का महत्व पता चलता है. खैर दिल टूटने की बात को यहीं छोड़ दीजिए क्योंकि अब हम इस ‘वैलेंटाइन डे’ के मौके पर बात करने जा रहे हैं उन प्रेमी जोड़ों के बारे में जो अपने दिल को संभालना चाहते हैं पर कुछ पुरानी यादों के झरोखे से स्वयं को बाहर नहीं निकाल पा रहे हैं.
दिल में एक चुभन सी होती है जब ऐसी यादें तन्हाई में आपका साथ देने के लिए चली आती हैं जिन्हें आप भूल से भी याद करना नहीं चाहते हैं. जब आपके रोते हुए चेहरे को कोई पल भर में अपनी मुस्कान से हंसा देता था या फिर जब आप तन्हां चल रहे होते थे तो आपका हाथ थाम आपको कहता था कि ‘तुम तन्हां कहां हो, तुम्हारी जिंदगी के हर मोड़ पर मैं तुम्हारे साथ हूं’. इन्हीं सभी बातों को याद कर आपकी आंखें भर आती होंगी. एक कहावत थोड़ी पुरानी है पर सच है कि सच्चा प्यार जिंदगी में केवल एक बार होता है और यदि उस प्यार का साथ व्यक्ति को तमाम उम्र के लिए मिल जाए तो वो आबाद हो जाता है, यदि वो ही प्यार व्यक्ति का साथ छोड़ चला जाए तो व्यक्ति पल भर में ही बर्बाद हो जाता है.
सोचिए क्या तमाम उम्र अपनी मुहब्बत से अलगाव का दुख मनाना जरूरी है? क्या जरूरी है कि व्यक्ति अपनी सम्पूर्ण जिंदगी इस बात का अफसोस करता रहे कि अब उसका प्यार किसी और का है? नहीं, स्वयं व्यक्ति ने अपने मानसिक स्तर पर ऐसी धारणाओं को जगह दे दी है कि सच्चे साथी से अलगाव होने पर दुख मनाना चाहिए. जरा सोचिए जब आपका पार्टनर आपके साथ था तो क्या वो आपके चेहरे पर दुख की लकीरें देख पाता था. यदि इस प्रश्न का जवाब नहीं है तो फिर क्यों इस बात का अफसोस करना कि अब आपका प्यार आपके साथ नहीं है. बेशक आपका प्यार आपके साथ ना हो पर करीब तो जरूर है और ‘करीबी’ का वास्तविक अर्थ ‘साथ’ शब्द के अर्थ से कहीं ज्यादा होता है. वैसे भी यादें तो व्यक्ति के वजूद से कहीं ज्यादा बेहतर होती हैं क्योंकि जब याद करो वह दौड़ती हुई चली आती हैं इसलिए यादों से दूर भागने के बदले उन्हें दिल खोलकर आने का आमंत्रण देना चाहिए. यदि आपकी भी कोई ऐसी कहानी है तो उसे हमारे साथ जरूर शेयर करें.
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