किशोर कुमार से लेकर आमिर खान तक बॉलिवुड के ज्यादातर अभिनेताओं ने लड़कियों के कपड़े पहनकर पर्दे पर अपनी कमर मटकाने से बिल्कुल परहेज नहीं किया. बॉलिवुड में लड़की बनकर पुरुषों को रिझाने का ट्रेंड बड़ा पुराना है. अंदर की बात तो यह भी है कि लड़की की ड्रेस में जब लड़के पर्दे पर अवतरित होते हैं तो उनकी एक्टिंग पर किसी का ध्यान ही नहीं जाता. अगर उन पर वो गेट अप सूट कर रहा होता है तो लोग फटी आंखों से उनके हाव-भाव को ही निहार रहे होते हैं और अगर कहीं कुछ गड़बड़ लगे तो या तो दर्शक बोर हो जाते हैं या फिर हंस-हंसकर उनके पेट में दर्द हो जाता है.
वैसे एक बात और हम आपको बता दें कि जिस तरह भारतीय समाज में लड़कियों को हमेशा कमजोर ही समझा जाता है और इस धारणा को फॉलो भी हमारा बॉलिवुड बड़ी ही सहजता से करता है. यही वजह है कि पर्दे पर हिरोइनों को किसी नाजुक कली से इतर कोई रोल दिया ही नहीं जाता. विलन उन्हें किडनैप करता है, उनका शोषण करता है और हीरो उन्हें बचाने आ जाता है. एकाध फिल्मों को छोड़ दें तो लगभग बॉलिवुड की हर फिल्म में या तो अभिनेत्रियों को नाचने-गाने का काम पकड़ा दिया जाता है या फिर वे पूरी फिल्म में बस रोती ही रहती हैं. इसलिए जब लड़कों को लड़कियों के गेट-अप में पर्दे पर लाया जाता है तो उन्हें भी छुई-मुई टाइप के रोल ही पकड़ाए जाते हैं.
हमेशा से ही बॉलिवुड की फिल्मों में अभिनेत्रियों को ज्यादा महत्वपूर्ण रोल नहीं दिए जाते. मसलन किसी विशिष्ट हीरो को दिमाग में रखकर फिल्म की स्क्रिप्ट तैयार की जाती है लेकिन हिरोइन की जगह कुछ ऐसी फिट होती है कि उसमें कोई भी चलेगी. पर पिछले कुछ समय से यह ट्रेंड भी बदल गया है क्योंकि अब हिरोइनें भी दर्शकों को पर्दे तक खींचकर लाने का काम करने लगी हैं और अब तो हॉलिवुड की तर्ज पर बॉलिवुड भी अपनी अभिनेत्रियों को धमाकेदार रोल पकड़ाने लगा है. रोल की तो बात ही छोड़िए जनाब! अब तो फिल्मी हिरोइनों को वो रोल भी दिए जाने लगे हैं जो कभी सिर्फ पुरुष ही किया करते थे.
अब देखिए मारधाड़ का काम अभी तक सिर्फ पुरुषों के ही जिम्मे होता था लेकिन अब तो हॉट एंड फिट लेडीज भी ये सब काम करने लगी हैं. डॉन की प्रियंका चोपड़ा को देख लीजिए या फिर गुलाब गैंग की माधुरी दीक्षित, आजकल सभी हिरोइनें अपनी पारंपरिक छवि को तोड़कर बाहर आने की कोशिश में हैं, विद्या बालन भी अपनी आने वाली फिल्म में एक डिटेक्टिव की भूमिका में नजर आएंगी. पहले ऐसा सिर्फ हॉलिवुड की फिल्मों में होता था और अब अच्छी बात यह है कि हिन्दी फिल्मों की हिरोइनों की इस कोशिश को बॉलिवुड ना सिर्फ तवज्जो देता है बल्कि दर्शक भी उन्हें पसंद कर रहे हैं.
इस साल की तो शुरुआत ही ऐसी फिल्मों से हुई है जो पूरी तरह महिलाओं पर ही केन्द्रित थी. डेढ़ इश्किया, हाइवे, गुलाब गैंग, क्वीन आदि जैसी फिल्में महिलाओं पर आधारित थीं और हिट भी रहीं. फिल्म विश्लेषकों का कहना है कि आजकल के दर्शकों की सोच बदल गई है. अब उन्हें हीरो या हिरोइन सेंट्रिक फिल्मों से नहीं बल्कि अच्छी फिल्म, अच्छे कॉंसेप्ट और अच्छी एक्टिंग से मतलब होता है.
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