हिन्दी फिल्मों के शौकीन लोग फिल्म का नाम देखकर थियेटर की ओर खिंचे चले जाते हैं. फिल्म का नाम जितना दमदार होगा दर्शकों की तादाद उतनी ही ज्यादा होती है. भले ही थियेटर पहुंचने के बाद उन्हें फिल्म देखने के अपने डिसिजन पर गुस्सा आए लेकिन अब किया भी क्या जा सकता है. अरे भई हम इंडियन्स हैं एक बार फिल्म की टिकट ले ली तो भले ही फिल्म जैसी भी हो टिकट के पैसे हम वेस्ट नहीं करते.
खैर ये तो बात अलग है लेकिन बॉलिवुड इंडस्ट्री की सबसे खास बात है उसका ‘मेल ओरिएंटेड’ होना. आपको तो पता ही होगा हिन्दी फिल्म उद्योग को पुरुषों के आधिपत्य वाला क्षेत्र माना जाता है, जहां सबसे ज्यादा महत्व फिल्म के हीरो को मिलता है. तभी तो फिल्म के नाम से लेकर फिल्म की कहानी तक सब कुछ फिल्म के हीरो के आसपास घूमती है. कभी आपने ये सोचा है कि अगर फिल्म के नाम और कहानी हिरोइन को सेंटर में रखकर सोचे जाते तो क्या-क्या ‘आइटम’ नाम होते और कौन सी हिरोइन उस नाम के साथ फिल्म की कहानी के लिए हिट बैठती? नहीं सोचा, चलिए कोई नहीं हम आपको इस सवाल का जवाब दिए देते हैं:
‘गजिनी’ फिल्म का नाम होता ‘हथिनी’ और फिल्म की हिरोइन होतीं सोनाक्षी सिन्हा.
‘बर्फी’ की जगह होती ‘टॉफी’ और उसकी एक्ट्रेस होतीं अनुष्का शर्मा.
‘डॉन’ का नहीं ‘डायन’ का बोलबाला होता और निश्चित तौर पर इस फिल्म के लिए सिर्फ और सिर्फ राखी सावंत को ही साइन किया जाता.
‘कोई मिल गया’ की जगह होती ‘कोई मिल गई’ और जादू का रोल मिलता कॉमेडियन भारती को.
‘बचना ए हसीनो’ तो रणबीर कपूर की थी, फिल्म का नाम होता ‘बचना ए कमीनो’. बताने की जरूरत तो है नहीं कि इस फिल्म की हिरोइन दीपिका पादुकोण होतीं.
‘गुंडे’ नहीं ‘गुंडियों; का जमाना है और वो हैं परिणीति और सोनाक्षी.
‘क्यूंकी मैं झूठ नहीं बोलता’ की जगह होता ‘क्यूंकि मैं झूठ ही बोलती हूं’. हिरोइन होतीं अपनी कैट्रीना कैफ
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