गम इंसान को ऊंचाइयां देता है, उसे देखकर इस पर यकीन करने को जी चाहता है लेकिन यह ऊंचाई आसमान में उछाल देने जैसी होती है जो ऊपर जाकर भी उसे डराती रहती है कि वह जैसे ही सबसे ऊपर पहुंचा उसे नीचे गिरकर चकनाचूर होना तय है. दुनिया के लिए वह एक नामचीन हस्ती है, एक ग्लैमर गर्ल! क्यों था उसकी जिन्दगी में ऐसा पता नहीं, पर एक बार को शायद ऐसा लगता है कि जैसे दुनिया ग्लैमर से गम का नाता मानती ही नहीं, जबकि उसकी हकीकत गम और ग्लैमर से हमेशा जुडी रही, हमेशा उसे तोड़ती रही.
खुद उसकी मां ने ही अनाथों की तरह उसे किसी और को पालने दे दिया. बचपन से वह उसी को अपनी मां समझते हुए बड़ी हुई. अचानक जब वह 7 साल की थी उसकी असली मां उसे लेने आ गई. इतना प्यार करने वाली उसकी इस पालने वाली मां ने अब बच्चे को लौटाने से मना कर दिया. पर असली माँ की ममता जाग उठी थी, वह बच्ची के बिना वापस जाने को तैयार नहीं थी. उसने बच्ची को बैग में पैक किया और लेकर जाने लगी. उस पालने वाली मां से झड़प में बच्ची हाथ से छूटकर दूर जा गिरी. बैग छूटने से वह उससे छिटककर बाहर गिर पड़ी और दूर कहीं खाई में गिरने वाली थी कि अचानक उसकी उस पालनहार यशोदा माता ने उसका हाथ थाम लिया. उस समय उसकी असली मां चली तो गयी लेकिन उसे दर्द देने बार-बार आती रही. माँ-बाप के होते हुए भी पूरी जिन्दगी वह अनाथों की तरह ही जीती रही और एक दिन अनाथों की तरह ही मर गयी.
मॉडलिंग के लिए पहली बार जब चुनी गई तो शायद उसे भी यकीन नहीं हुआ होगा. उसके पास पहनने को ढंग के कपड़े भी नहीं थे. ऑडीशन में सज-संवर कर आई खूबसूरत लड़कियां थीं पर उसने एक पुरानी ड्रेस पहन रखी थी. साधारण बाल थे. पर ऑडीशन रूम में गई तो उसने पहली नजर में ही बैठने के अपने बोल्ड अंदाज से इंटरव्यूवर को प्रभावित कर दिया और बिना किसी तैयारी के बाकी मॉडलों को पीछे छोड़कर सलेक्ट ही नहीं हुई बल्कि टॉप पर रही.
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पूरी दुनिया में नॉर्मा जिनी (मर्लिन मुनरो का असली नाम) अब भी सबसे ग्लैमरस लेडी के रूप में जानी जाती है पर सभी जानते हैं कि मुनरो की पूरी जिंदगी दर्द की इम्तहां थी. जन्म के साथ ही मां-बाप का तलाक हो गया. मां की दिमागी और आर्थिक रूप से उसे पाल सकेन में सक्षम नहीं थी और उसने उसे किसी को गोद दे दिया. बाद में वह बार-बार उसे ले जाने के लिए आती रही. इस तरह अपनी पूरी जिंदगी में वह 11 मां-बाप के साथ रही. कई ने उसका शारीरिक शोषण भी किया. जवानी ने ग्लैमर दिया लेकिन प्यार की सुरक्षा नहीं. एक खूबसूरत लड़की होने की शायद यह सजा थी या मुनरो की किस्मत ही ऐसी थी. जो भी था भावनात्मक स्तर पर बेहद कमजोर मानी जाने वाली मुनरो का लव अफेयर लोग आज भी चटखारे लेकर पढ़ते हैं. जॉन एफ कैनेडी समेत अपने तमाम मशहूर प्रेम संबंधों, प्लेबॉय मैगजीन के लिए न्यूड फोटो शूट के कारण मुनरो की इमेज एक बिंदास लड़की की बन गई. उस वक्त यह बिंदासपन आज की तरह आम नहीं था. लेकिन लोगों ने उसके इस बिंदासपन का शारीरिक और मानसिक शोषण कर हमेशा फायदा उठाना चाहा.
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न्यूड फोटो शूट के लिए मात्र 50 डॉलर
जिस न्यूड फोटो शूट के लिए मुनरो की इमेज उस वक्त खराब हुई थी उसके लिए उसे मात्र 50 डॉलर मिले थे. 1949 में मुनरो ने फोटोग्राफर टॉम केली के लिए यह कैलेंडर फोटो शूट किया था. कैलेंडर तो पब्लिश नहीं हुआ पर प्लेबॉय मैगजीन ने केली से यह फोटोग्राफ निगेटिव समेत 500 डॉलर में खरीद लिया. मैगजीन के कवर पेज पर इस फोटोग्राफ ने कई मिलियन डॉलर का मुनाफा कमाया और उसमें मुनरो को कोई हिस्सा नहीं मिला. फिल्मों के लिए बाकी अभिनेत्रियों से बहुत कम फीस उसे मिलती थी.
हकलाती थी मर्लिन मुनरो
दुनिया उसे देखकर आहें भरती थी लेकिन वह अपने दर्द से आहें भरती थी. अनाथों की जिंदगी, प्यार की अधूरी चाह, हर चेहरे को अपनी तरफ बस फायदा लेने की टोह में देखता पाकर या शायद किन्हीं और कारणों से यह हुआ पर वह बचपन से हकलाती थी. स्पीच थेरेपिस्ट की मदद से यह हकलाहट थोड़े दिनों के लिए खत्म हुई लेकिन आखिरी फिल्म ‘समथिंग इज गॉट टू गिव’ में स्ट्रेस के कारण वह वापस हकलाने लगी.
चेहरे पर बाल थे और प्लास्टिक सर्जरी भी कराई
शायद आप यकीन न करें पर अपनी खूबसूती के लिए मशहूर मुनरो ने प्लास्टिक सर्जरी कराई थी. भले वह पर्दे पर बेहद खूबसूरत थी लेकिन असल में मुनरो के चेहरे पर बाल थे. उसके प्रोड्यूसर-डायरेक्टर इसे हटवाना चाहते थे पर मुनरो ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया. इसलिए फिल्म शूट में बहुत नजदीक से मुनरो को शूट नहीं किया जाता था और खास लाइट इफेक्ट दी जाती थी. पर अपने एजेंट जॉनी हाइड के कहने पर नोज और चिन (नाक और ठुड्डी) की प्लास्टिक सर्जरी कराई थी.
मुनरो की आई क्यू आईंस्टीन की आईक्यू के बराबर!
मुनरो की हमेशा ख्वाहिश रही कि वह मां बने पर दो बार गर्भवती होने के बाद किन्हीं कारणों से गर्भपात हो जाने के कारण वह कभी मां नहीं बन पाई. आखिरकार निराशा और हताशा के बीच निजी जिंदगी में एक नाकामी महसूस करते हुए मुनरो ने आत्महत्या कर ली. मुनरो भावनात्मक स्तर पर हमेशा बेवकूफ बनाए जाने का सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकी लेकिन सच यह है कि मानसिक रूप से उसकी आई क्यू आईंस्टीन की आईक्यू के बराबर थी. आईंस्टीन की आईक्यू कभी मापी नहीं गई लेकिन यह 160 के आसपास मानी जाती है, मुनरो की आईक्यू 168 थी. पर प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में वह बेवकूफ मानी जाती थी और इससे भी उसे बड़ी शिकायत थी.
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