‘कामयाबी की सीढ़ी चढ़ते हुए जिन लोगों से मुलाकात होती है वही लोग फिर से सीढ़ी उतरते हुए भी मिलते हैं.’ दर्शकों के बीच काफी सराही गई फिल्म ‘फैशन’ के इस डॉयलाग में जिदंगी की बहुत बड़ी सच्चाई छुपी हुई है. इस बात को वही लोग समझ सकते हैं जिन्होंने जिदंगी में कभी न कभी अर्श से फर्श तक की बदकिस्मती झेली हो. अपनी जिदंगी की कड़वी सच्चाईयों को बयां करने वाली फिल्में बनाने के लिए रूप में पहचाने जाने वाले बॉलीवुड के निर्देशक मधुर भंडारकर के जीवन की कहानी भी किसी फिल्म से कम नहीं है. 1999 में मधुर ने ‘त्रिशक्ति’ नाम की एक फिल्म निर्देशित की थी.
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जो कि सुपरफ्लॉप रही. इस वजह से मधुर के आर्थिक हालात इतने खस्ता हो चुके थे कि उनके पास ऑटो का किराया देने के भी पैसे नहीं थे. इस दौरान उनके एक स्टॉक मार्केट का बिजनेस करने वाला दोस्त मिलने-जुलने आया करता था. एक रोज उसका फोन आया और उसने मधुर से ‘माहिम’ नाम के डांस बार में चलने की पेशकश की. इससे पहले मधुर कभी बार नहीं गए थे इसलिए वो वहां जाने के लिए तैयार हो गए. बार पहुंचकर उन्हें यहां एक अजीब-सी दुनिया देखने को मिली. घाघरा चोली, साड़ी में नाचती लड़कियां, शराब के नशे में झूमते लोग, ऊंची आवाज में चलते फिल्मी गाने और भी बहुत कुछ. इधर उनका दोस्त पूरी तरह नशे में डूब चुका था.
मधुर को बार में एक अंजाना-सा डर लग रहा था. उसे लग रहा था कि कहीं कोई उन्हें देखकर ये न कह दे कि ‘देखो फ्लॉप फिल्म का डॉयरेक्टर यहां बैठकर शराब पी रहा है’. क्योंकि फिल्म नगरी में फिल्मों में करियर चौपट होने के बाद अक्सर लोग शराब का सहारा लेते थे. उस दिन मधुर ने अपने दोस्त को समझा-बुझाकर वहां से चलने को मजबूर कर दिया. इस बात से उनका दोस्त उनसे काफी नाराज हुआ. रातभर मधुर की आंखों के सामने बार का दृश्य घूमता रहा. वो पूरी रात ठीक से सो नहीं सके, क्योंकि उनके दिमाग में एक दिलचस्प ऑइडिया जन्म ले चुका था.
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बार से शुरू हुआ हकीकत बयां करती फिल्मों का सफर
अगले दिन मधुर ने अपने इस दोस्त को रात को फिर से उसी बार में चलने के लिए कहा. बहुत मनाने के बाद उनका दोस्त मधुर को वहां ले जाने के लिए राजी हो गया. वहां जाकर मधुर कई बार गर्ल से बात करते. वो अपने दोस्त को एक ही रात में कई-कई बार घूमाने के लिए कहते. करीब 1 साल तक मधुर ने बार में जाकर रिसर्च की. वो करीब से वहां की लड़कियों की जिदंगी की सच्चाईयों को जानने की कोशिश करते. इस दौरान वो करीब 60 से ज्यादा बार के अनुभवों को जुटा चुके थे. यहीं से मधुर के दिमाग में ‘चांदनी बार’ जैसी बेहतरीन फिल्म बनाने का विचार आया.
इसके बाद तो मधुर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उनकी ये फिल्म हिट साबित हुई. इस फिल्म को नेशनल फिल्मफेयर अवार्ड से नवाजा गया. साथ ही लीक से हटकर फिल्मों की चाह रखने वाले दर्शकों ने भी इस फिल्म की जमकर तारीफ की. इसके बाद मधुर ने पेज थ्री, फैशन, कॉरपोरेट, जेल आदि यादगार फिल्म बनाई. मधुर भंडारकर के लिए त्रिशक्ति फिल्म का फ्लॉप होना, इसलिए भी किसी बड़ी मुसीबत से कम नहीं था क्योंकि उन्होंने अपने संघर्ष के दिनों में ट्रैफिक सिग्नल पर च्यूंमगम तक बेची थी और वो कई निर्देशकों के पास 1000 रुपए के मासिक वेतन पर काम किया करते थे…Next
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