‘सिक्सर किंग’ कह जाने वाले युवराज सिंह का नाम आते ही, एक ऐसे विस्फोटक बल्लेबाज की छवि दिमाग में उभरती है, जो हर गेंद को अपने बल्ले से सीमा रेखा के पार भेजने की ताकत रखता है. 6 गेंदो पर 6 छक्के लगाने वाले भारत के सबसे चहेते खिलाड़ी युवराज सिंह हाल ही में शादी के बंधन में बंधे हैं और आज उनका जन्मदिन है, ऐसे में आइए जानते हैं उनके जीवन के कुछ किस्से.
धूप में खेलना नहीं था पसंंद
युवराज सिंह ने कहा कि वह कभी क्रिकेटर नहीं बनना चाहते थे, क्योंकि उन्हें धूप में खेलना अच्छा नहीं लगता था, इसलिए वह क्रिकेट से दूर भागते थे. युवराज सिंह के पिता व पूर्व क्रिकेटर योगराज सिंह ने भारतीय क्रिकेट टीम के लिए कुछ मैच खेले भी हैं. लेकिन चोटिल होने के कारण वो नहीं खेल पाए. वह चाहते थे कि उनका बेटा क्रिकेट खेले और उनकी इच्छा को पूरा करे.
स्केटिंग में जीता था गोल्ड मेडल
आपको जानकर हैरानी होगी कि युवराज सिंह क्रिकेटर नहीं बनना चाहते थे. स्कूल के दिनों में युवराज केवल टेनिस और फुटबॉल खेलते थे और साथ ही उन्हें स्केटिंग करना पसंद था. युवराज सिंह ने स्केटिंग की अंडर-14 कैटिगरी में गोल्ड मेडल जीता भी है.
सचिन तेंदुलकर के खेल ने युवराज को प्रभावित किया
युवराज सिंह ने सचिन तेंदुलकर को देखते हुए क्रिकेट खेलना शुरू किया. सचिन तेंदुलकर ने 16 साल की उम्र में जब अंतरराष्ट्रीय मैच खेलना शुरू किया, तब युवराज सिर्फ 8 साल के थे. युवराज सिंह के लिए उनके पिता योगराज सिंह पहले कोच रहे. योगराज ने ही उन्हें क्रिकेट की तरफ झुकाव करवाया था.
तेज गेंदबाज बनना चाहते थे युवी
युवराज के बल्ले से आज भले ही आग निकलती हो, लेकिन एक समय में युवी खुद को गेंदबाज के तौर पर देखना चाहते थे. लेकिन फिटनेस की कमी के वजह उन्होंने धीरे-धीरे बल्लेबाजी की ओर ध्यान दिया. बचपन में युवराज सिंह तेज़ गेंद से काफी डरते थे. जब भी कोई तेज़ गेंदबाज गेंदबाजी करता था तो युवराज पीछे हट जाते थे और आउट हो जाते थे.
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फ्लिंटॉफ की धमकी बाद जड़े 6 छक्के
युवी वो खिलाड़ी हैं जिसने टीम इंडिया को 2007 वर्ल्ड कप जिताने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई थी. युवी का जब भी जिक्र हो और 2007 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के खिलाफ लगाए गए छह गेंद पर छह छक्के की बात ना हो ऐसा होना बहुत मुश्किल है. इस मैच में फ्लिंटॉफ से हुई अनबन के बाद युवी ने 6 छक्के लगाए थे. जब उनसे पूछा गया फ्लिंटॉफ ने क्या कहा था तो युवी ने कहा कि ‘फ्लिंटॉफ मुझसे नाराज थे और कहा था कि वो मेरा गला काट देंगे मैंने उनसे बस यही कहा था कि मेरा बल्ला बोलेगा और वो इत्तेफाक से सच साबित हुआ.‘
2011 वर्ल्ड कप के दौरान हुआ कैंसर
जहां एक तरफ युवी ने अपने बल्ले के दम से भारत को विश्व विजेता बनाया था, वहीं दूसरी तरफ वो कैंसर से जूझ रहे थे. 2011 में युवी को ‘मैन ऑफ द मैन टूर्नामेंट’ से नवाजा गया. इसके बाद लोगों को पता चला कि मैच के दौरान युवी को कैंसर था, लेकिन वो अपनी टीम को विश्व विजेता बनते हुए देखना चाहते थे, इसलिए उन्होंने इस बीमारी को सबसे छुपाया.
कैंसर से जीती जंग
युवराज सिंह के लिए यह स्वीकार करना मुश्किल था कि उन्हें लंग कैंसर है. युवराज को इस बात से डर लगता था कि वह अब कभी क्रिकेट नहीं खेल पाएंगे, लेकिन सही समय पर शुरू हुए इलाज से उन्होंने कैंसर को मात दी. इसके बाद कैंसर के मरीजों के लिए उन्होंने YouWeCan नाम की संस्था भी बनाई.
हेजल को पाने के लिए किया तीन साल इंतजार
युवी को हेजल ने कई बार कॉफी डेट पर ना बोला युवी इतने खफा हो गए कि उन्होंने हेजल का नंबर डिलीट कर दिया. फिर करीब 3 साल बाद युवी एक बार फिर से हेजल से मिले सोशल मीडिया पर और आखिरकार हेजल युवी के साथ कॉफी डेट पर गईंं. दोनों ने एक-दूसरे को पसंंद किया और दोनों ने शादी कर ली. वैसे युवी की मां को हेजल पसंंद नहींं थी और इसका सबसे बड़ा कारण था हेजल का स्टाइल. युवी की मां के हिसाब से हेजल काफी टॉमब्वॉय की तरह हैं और उनकी मां चाहती हैं कि वो एक ट्रेडिशनल बहू बनकर रहें. हालांकि हेजल ने काफी हद तक खुद को बदल लिया है..Next
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