30 साल पहले छोटे पर्दे पर रामायण की शुरुआत हुई, तो पूरे देश में एक अलग ही माहौल था. इस ऐतिहासिक सीरियल को देखने के लिए तब कर्फ्यू लगने जैसी स्थिति पैदा हो जाती थी. लोग टीवी के सामने बैठते तो सीरियल खत्म होने के बाद ही उठते. यह धार्मिक सीरियल ‘भगवान राम’ के किरदार के ईर्द-गिर्द ही घूमता है.
रामानंद सागर के रामायण में अरुण गोविल ने इस किरदार को निभाया था. ‘रामायण’ के राम यानी अरुण गोविल घर-घर में राम की तरह पूजे जाने लगे. एक समय था, जब इन्हें देखते ही लोग हाथ जोड़ लिया करते थे. लोगों के दिलों पर भगवान राम बनकर राज करने वाले अरुण गोविल आजकल कहां हैं आइए जानते हैं.
मेरठ के रहने वाले हैं अरुण
अरुण गोविल का जन्म 12 जनवरी 1958 को उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुआ था. पढ़ाई के दौरान ही वे नाटक किया करते थे. हालांकि, अभिनय में करियर बनाने के बारे में उन्होंने कभी नहीं सोचा था. अरुण वैसे तो मुंबई बिजनेस करने आए थे लेकिन उनपर एक्टिंग का जुनून सवार हो गया और उन्होंने एक्टिंग का दामन थाम लिया.
फिल्मों में मिला पहला ब्रेक
अरुण भले ही लोगों के लिए राम हों, लेकिन उससे पहले उन्होंने ताराचंद बडजात्या की फिल्म ‘पहेली’ जो 1977 में आई थी, उसमें पहली बार नजर आए. उन्होंने ‘सावन को आने दो’, ‘सांच को आंच नहीं’, ‘इतनी सी बात’, ‘हिम्मतवाला’ , ‘दिलवाला’, ‘हथकड़ी’ और ‘लव कुश’ (1997) जैसी कई बॉलीवुड फिल्मों में अहम भूमिका निभाई.
छोटे पर्दे पर राम के अलावा ये किरदार
राम का किरदार निभाने के बाद अरुण ने रामानंद सागर के एक और मशहूर शो ‘विक्रम और बेताल’ में राजा विक्रमादित्य का किरदार निभाया था. हालांकि यह कहा जाता है कि इसकी तैयारी रामायण सीरियल से पहले की जा चुकी थी.
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इन शो में भी निभाया किरदार
राम का किरदरा निभाने के बाद अरुण ने ‘लव कुश’, ‘कैसे कहूं’, ‘बुद्धा’, ‘अपराजिता’, ‘वो हुए न हमारे’ और ‘प्यार की कश्ती में’ जैसे कई पॉपुलर टीवी सीरियल में काम किया.
रामायण के बाद कोई पहचान नहीं
जिसे हर घर में पहचाना जाने लगा, उसे काम मिलना बेहद मुश्किल हो रहा था. अरुण को लोग राम के किरदार के तौर पर ही देख रहे थे, इसलिए उन्हें कोई और किरदार नहीं मिल रहे थे, जिस वजह से उनका एक्टिंग करियर खत्म हो गया. उसके बाद वो करीब 9 से 10 सालों तक टीवी की दुनिया से दूर रहें.
प्रोडक्शन का काम संभाला
अरुण एक चमकते सितारे थे, लेकिन उनके पास काम नहीं था जिस वजह से उन्होंने प्रोडक्शन का काम संभाला. अपने को- स्टार सुनील लाहिड़ी यानि रामायण के लक्ष्मण के साथ मिलकर उन्होंने अपनी एक टीवी कंपनी बनाई, जिसके तहत वह कार्यक्रमों के निर्माण से जुड़े रहे और इसमें उन्होंने मुख्य रूप से दूरदर्शन के लिए कार्यक्रम बनाए.
नहीं निकल पाए राम की छवि से बाहर
अरुण गोविल ने राम की छवि से बाहर निकलने की भी काफी कोशिश की, फिल्मों में बोल्ड सीन्स किए, कुछ धारावाहिकों में नेगेटिव किरदार निभाया, लेकिन अफसोस वो राम की छवि से कभी बाहर नहीं निकल पाए. भले ही ‘रामायण’ को लगभग तीन दशक हो गए हों, पर अरुण गोविल आज भी टीवी के राम के रूप में ही पहचाने जाते हैं…Next
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